2018, Vol. 3 Issue 1, Part A
महाकवि शमà¥à¤à¥à¤¦à¤¯à¤¾à¤²à¤ªà¤¾à¤£à¥à¤¡à¥‡à¤¯ विरचित रजतोपदेश महाकावà¥à¤¯ में धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¤£à¤¤à¤¾ दानशीलता à¤à¤µà¤‚ तपःपरायणता: à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s): दीनदयाल सैनी, डा. सूरà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ गौतम
Abstract: धरà¥à¤®, दान और तप ये मानवजीवन को मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ बनाने वाले अनमोल रतà¥à¤¨ है। इनसे ही किसी à¤à¥€ मानव का जीवन संवरता है, उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ होता है। यही कारण है कि आदिकालीन कवियों ने उकà¥à¤¤ तीनों ही गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¸à¤‚शा अपने कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚, महाकावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में मà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤£à¥à¤ से किया है। महाकवि शमà¥à¤à¥‚दयाल जी ने आधà¥à¤¨à¤¿à¤• परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में अकà¥à¤¤ तीनों मानवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ (मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚) को जाना और पहचाना है तथा उसे अपने महाकावà¥à¤¯ में उचित आदर के साथ उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया है। यह महाकावà¥à¤¯ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तेजसà¥à¤µà¥€ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ ’रजत मà¥à¤¨à¤¿â€™ के चरितà¥à¤° को आधार बनाकर रचित है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोधालेख में उकà¥à¤¤ तीनों गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को जो मानवीय मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कसौटी के रूप में जाने व परखे जाते हैं का महाकवि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤¨à¥ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विरचित महाकावà¥à¤¯ में समावेश किया गया है।
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दीनदयाल सैनी, डा. सूरà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ गौतम. महाकवि शमà¥à¤à¥à¤¦à¤¯à¤¾à¤²à¤ªà¤¾à¤£à¥à¤¡à¥‡à¤¯ विरचित रजतोपदेश महाकावà¥à¤¯ में धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¤£à¤¤à¤¾ दानशीलता à¤à¤µà¤‚ तपःपरायणता: à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Jyotish Res 2018;3(1):06-08.