International Journal of Jyotish Research

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ISSN: 2456-4427, Impact Factor: RJIF 5.11

2019, Vol. 4 Issue 1, Part A
कृष्णमूर्ति पद्वति (KP): जन्म, दशा और गोचर
Author(s): डाॅ0 विपित्य कुमार कटियार
Abstract: भारतीय ज्योतिष में मुख्यतः और मूलतः ज्योतिष की दो धारायें प्राचीन काल से विद्यमान हैं, जिन्हें पराशर और नाड़ी ज्योतिष के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही जैमिनी ज्योतिष भी है। नाड़ी ज्योतिष मुख्यतः दक्षिण भारत में और पराशर ज्योतिष उत्तर भारत में प्रचलित है। प्रो0 कृष्णमूर्ति का जन्म दक्षिण भारत में हुआ और उन्होंने पराशर ज्योतिष से प्रारम्भ करते हुये एक अलग विधा का अविष्कार किया जिसे कृष्णमूर्ति पद्धति या ज्ञच् कहते है। प्रस्तुत लेख कृष्णमूर्ति पद्धति के विभिन्न आधार स्तम्भों एवं उनकी मौलिक संकल्पनाओं का पारम्परिक ज्योतिष के सन्दर्भ में समग्र विवेचन है। यह लेख कृष्णमूर्ति पद्धति की पारम्परिक ज्योतिष से भिन्नताओं एवं कृष्णमूर्ति पद्धति की सीमाओं की विवेचना भी करता है।
Pages: 01-04  |  1415 Views  310 Downloads
How to cite this article:
डाॅ0 विपित्य कुमार कटियार. कृष्णमूर्ति पद्वति (KP): जन्म, दशा और गोचर. Int J Jyotish Res 2019;4(1):01-04.
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