2019, Vol. 4 Issue 1, Part A
Abstract: वेदांग जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· कहने से जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के उस à¤à¤¾à¤— का बोध होता है जो वैदिक जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· और मानव जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· से à¤à¤¿à¤¨à¥â€à¤¨ है। वेदांग कहते ही, वेद के छ: अंगों का नाम सामने आ जाता है। ये हैं – शिकà¥à¤·à¤¾, कलà¥â€à¤ª, वà¥â€à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£, निरूकà¥â€à¤¤, छनà¥â€à¤¦ और जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥¤ इनà¥â€à¤¹à¥‡à¤‚ ‘षडंग’ à¤à¥€ कहा जाता है। अंगी वेद है और अंग वेदांग है।
किसी à¤à¥€ वसà¥â€à¤¤à¥ के सà¥â€à¤µà¤°à¥‚प को जिन अवयवों या उपकरणों के माधà¥â€à¤¯à¤® से जाना जाता है, उसे अंग कहते हैं। अंग शबà¥â€à¤¦ की वà¥â€à¤¯à¥à¤¤à¥â€à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤²à¤à¥â€à¤¯ अरà¥à¤¥ à¤à¥€ यही है – अंगà¥â€à¤¯à¤¨à¥â€à¤¤à¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¯à¤¨à¥â€à¤¤à¥‡ अमीà¤à¤¿à¤°à¤¿à¤¤à¤¿ अंङà¥à¤—ानि। षडॠवेदांगों में से चार वेदांग à¤à¤¾à¤·à¤¾ से समà¥â€à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ हैं – वà¥â€à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£, निरूकà¥â€à¤¤, शिकà¥à¤·à¤¾ और छनà¥â€à¤¦à¥¤ इन चार वेदांगों से वेद का यथारà¥à¤¥ बोध होता है। कलà¥â€à¤ª के चार विà¤à¤¾à¤— हैं। शà¥à¤°à¥Œà¤¤, गृहà¥à¤¯, धरà¥à¤® और शà¥à¤²à¥â€à¤¬à¥¤ इनमें से केवल शà¥à¤²à¥â€à¤¬ ही वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शाखा का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¤à¥â€à¤µ करता है। षषà¥à¤ अंग है -जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥¤ यह वेदांग पूरà¥à¤£à¤¤: वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, कालविधान कारक तथा वैदिक धारानà¥â€à¤¤à¤°à¥à¤—त à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मनीषा की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥â€à¤š उपलबà¥à¤§à¤¿ है।