2019, Vol. 4 Issue 1, Part A
सन्तान: नाड़ी ज्योतिष की दृष्टि से
Author(s): डाॅ. विपित्य कुमार कटियार
Abstract: जन्म कुण्डली में पंचम भाव से सन्तान का विचार करने का उल्लेख ज्योतिष की सभी विधाओं में है लेकिन सन्तान के कारक को लेकर पराशरी और नाड़ी दृष्टिकोण अलग-अलग है। पराशरी में सन्तान का कारक बृहस्पति को माना गया है जबकि नाड़ी में सन्तान का कारक सूर्य माना जाता है। अन्य ‘कारकों‘ में भी पराशरी और नाड़ी दृष्टिकोण में भिन्नता पायी जाती है। कालपुरूष कुण्डली में पंचम भाव में सिंह राशि आती है। जिसका स्वामी सूर्य है। नाड़ी और पराशर में कारक को लेकर कई और अन्तर भी है। प्रस्तुत लेख नाड़ी ग्रन्थों के आधार पर सूर्य को सन्तान के कारक के रूप लेकर विवेचन प्रस्तुत करता है। सूर्य को कारक लेकर सन्तान के बारे में अधिक सुगमता से भविष्य कथन किया जा सकता है। यह लेख सूर्य के आधार पर सन्तान की संख्या, उनके लिंग, सन्तान के जन्म के समय को निकालने इत्यादि की सरल व्याख्या प्रस्तुत करता है।
How to cite this article:
डाॅ. विपित्य कुमार कटियार. सन्तान: नाड़ी ज्योतिष की दृष्टि से. Int J Jyotish Res 2019;4(1):08-15.