International Journal of Jyotish Research

International Journal of Jyotish Research

ISSN: 2456-4427, Impact Factor (RJIF): 5.64

Peer Reviewed Journal

2019, Vol. 4 Issue 1, Part A
ज्‍योतिषशास्‍त्र में व्‍याधि निरूपण
Author(s): डॉ0 नन्दन कुमार तिवारी
Abstract: मानव-सृष्टि विधाता (सृष्टिकर्ता) की अद्भुत व सर्वोत्‍कृष्‍ट देन है। आध्‍यात्मिक सूत्रों के अनुसार मानव स्‍व-स्‍व कर्मानुरोधेन विविध प्रकार के योनियों में जन्‍म लेता हैं। ऋषियों द्वारा शास्‍त्रों में प्रणीत चौरासी लाख योनियों में मानव योनि को ही सर्वोत्तम बतलाया गया है। गोस्‍वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है कि-‘‘कर्म प्रधान विश्‍व रचि राखा। जो जस करै सो तस फल चाखा।।’’ इसका मूलार्थ है कि मानव जीवन में सर्वप्राप्ति कर्माश्रित (संचित, प्रारब्‍ध एवं क्रियमाण) है। सर्वविदित है कि व्‍याधियों का सम्‍बन्‍ध मानवीय भौतिक शरीर से ही है। ज्‍योतिषशास्‍त्र में व्‍याधि के कारण कर्म ही बताये गयें है, जिसमें दोषत्रय (कफ, पित्त एवं वात) के प्रतिनिधि कारक ग्रह अपनी-अपनी दशा के अनुरूप शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं।१ यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सर्वसाधन सम्‍पन्‍न व्‍यक्ति भी व्‍याधियों के समक्ष किं‍कर्तव्‍यविमूढ़ हो जाता है। इसका कारण है कि व्‍याधियाँ कहीं बाहर से न आकर स्‍वयं के शरीर में ही विद्यमान रहती हैं। कहा भी गया है – ‘शरीरं व्‍याधिमन्दिरम्।’ किन्‍तु यह कथन ही पर्याप्‍त नहीं है। इसका ज्ञान होना भी आवश्‍यक है कि किस समय में कौन सा रोग होगा? किस समय कौन सी व्‍याधि शरीर को प्रभावित करेगी? वस्‍तुत: व्‍याधि के निदान में आधुनिक दृष्टिकोण से चिकित्‍सा शास्‍त्र ही सक्षम विज्ञान है किन्‍तु इसके साथ एक कठिनाई भी है। चिकित्‍सा विज्ञान उस समय निदान कर पाता है जब व्‍याधि का अधिकार शरीर पर हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में व्‍याधि से लड़ने का पर्याप्‍त अवसर चिकित्‍सक को नहीं मिल पाता है। जबकि ज्‍योतिष शास्‍त्र इन व्‍याधियों के प्रकट होने से पूर्व इसकी सूचना देने में सक्षम है। यही कारण है कि भारतीय चिकित्‍सा विज्ञान का अत्‍यन्‍त घनिष्‍ठ सम्‍बन्‍ध ज्‍योतिष शास्‍त्र के साथ रहा है।
Pages: 16-20  |  1658 Views  401 Downloads
How to cite this article:
डॉ0 नन्दन कुमार तिवारी. ज्‍योतिषशास्‍त्र में व्‍याधि निरूपण. Int J Jyotish Res 2019;4(1):16-20.
International Journal of Jyotish Research

International Journal of Jyotish Research

International Journal of Jyotish Research
Call for book chapter