2019, Vol. 4 Issue 1, Part A
जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¶à¤¾à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤° में वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ निरूपण
Author(s): डॉ0 ननà¥à¤¦à¤¨ कà¥à¤®à¤¾à¤° तिवारी
Abstract: मानव-सृषà¥à¤Ÿà¤¿ विधाता (सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾) की अदà¥à¤à¥à¤¤ व सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥â€à¤•à¥ƒà¤·à¥â€à¤Ÿ देन है। आधà¥â€à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मानव सà¥â€à¤µ-सà¥â€à¤µ करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤°à¥‹à¤§à¥‡à¤¨ विविध पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के योनियों में जनà¥â€à¤® लेता हैं। ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शासà¥â€à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ चौरासी लाख योनियों में मानव योनि को ही सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® बतलाया गया है। गोसà¥â€à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी ने à¤à¥€ रामचरितमानस में कहा है कि-‘‘करà¥à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ विशà¥â€à¤µ रचि राखा। जो जस करै सो तस फल चाखा।।’’ इसका मूलारà¥à¤¥ है कि मानव जीवन में सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ (संचित, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥â€à¤§ à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤®à¤¾à¤£) है। सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है कि वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का समà¥â€à¤¬à¤¨à¥â€à¤§ मानवीय à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शरीर से ही है। जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¶à¤¾à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤° में वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ के कारण करà¥à¤® ही बताये गयें है, जिसमें दोषतà¥à¤°à¤¯ (कफ, पितà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ वात) के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कारक गà¥à¤°à¤¹ अपनी-अपनी दशा के अनà¥à¤°à¥‚प शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं।१ यह कहना अतिशयोकà¥à¤¤à¤¿ नहीं होगा कि सरà¥à¤µà¤¸à¤¾à¤§à¤¨ समà¥â€à¤ªà¤¨à¥â€à¤¨ वà¥â€à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के समकà¥à¤· किंâ€à¤•à¤°à¥à¤¤à¤µà¥â€à¤¯à¤µà¤¿à¤®à¥‚ढ़ हो जाता है। इसका कारण है कि वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ कहीं बाहर से न आकर सà¥â€à¤µà¤¯à¤‚ के शरीर में ही विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहती हैं। कहा à¤à¥€ गया है – ‘शरीरं वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤°à¤®à¥à¥¤â€™ किनà¥â€à¤¤à¥ यह कथन ही परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ नहीं है। इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना à¤à¥€ आवशà¥â€à¤¯à¤• है कि किस समय में कौन सा रोग होगा? किस समय कौन सी वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ शरीर को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करेगी? वसà¥â€à¤¤à¥à¤¤: वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ के निदान में आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से चिकितà¥â€à¤¸à¤¾ शासà¥â€à¤¤à¥à¤° ही सकà¥à¤·à¤® विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ है किनà¥â€à¤¤à¥ इसके साथ à¤à¤• कठिनाई à¤à¥€ है। चिकितà¥â€à¤¸à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ उस समय निदान कर पाता है जब वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ का अधिकार शरीर पर हो जाता है। à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ से लड़ने का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ अवसर चिकितà¥â€à¤¸à¤• को नहीं मिल पाता है। जबकि जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥â€à¤¤à¥à¤° इन वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ होने से पूरà¥à¤µ इसकी सूचना देने में सकà¥à¤·à¤® है। यही कारण है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिकितà¥â€à¤¸à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अतà¥â€à¤¯à¤¨à¥â€à¤¤ घनिषà¥â€à¤ समà¥â€à¤¬à¤¨à¥â€à¤§ जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥â€à¤¤à¥à¤° के साथ रहा है।
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डॉ0 ननà¥à¤¦à¤¨ कà¥à¤®à¤¾à¤° तिवारी. जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¶à¤¾à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤° में वà¥â€à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ निरूपण. Int J Jyotish Res 2019;4(1):16-20.