International Journal of Jyotish Research

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ISSN: 2456-4427

2023, Vol. 8 Issue 1, Part A
ज्योतिषशास्त्र में कर्ण रोग से सम्बन्धित विभिन्न योग
Author(s): à¤¡à¤¾0 तृप्ति दहरी
Abstract: à¤®à¤¾à¤¨à¤µ शरीर एवं मन में उत्पन्न होने वाले विकार जिन से मनुष्य किसी भी प्रकार का दुख प्राप्त करता है उसको रोग कहते हैं इन रोगों की उत्पत्ति के कारण लक्षण भेद एवं चिकित्सा विधि इत्यादि में आयुर्वेद एवं ज्योतिष में काफी समानता है सुश्रुत संहिता में भगवान धन्वंतरी ने भी रोगी की चिकित्सा शुरू करने से पहले वैद्य को उसकी आयु की भली-भांति परीक्षा कर लेने का निर्देश दिया है। ज्योतिष शास्त्र में भी मनुष्य के रोगों की उत्पत्ति के अनेक कारण बताए गए हैं ग्रहों के दृष्टिपात ग्रहों के स्थान युति एवं दुष्ट स्थानों पर होना कई प्रकार के कारण रोगो की उत्पत्ति के होते हैं जिन से मनुष्य अलग-अलग प्रकार के रोगों को प्राप्त करता है प्रस्तुत शोध पत्र में कर्ण रोग के बारे में विचार किया गया है। यदि किसी व्यक्ति की आयु के बारे में विचार करना है तब भी ज्योतिष शास्त्र के आधार पर जातक की आयु कितनी है उसका वर्णन किया जा सकता है। आयुर्वेद में भी जब मनुष्य ऋतु के अनुसार आहार-विहार करता है सदवृत्ति का सेवन करता हूं एवं रोगोत्पत्ति का मौसम भी ना हो और अचानक रोग उत्पन्न हो जाए तो उस रोग को कर्मजन्य माना जाता है। कान रोग भी दो प्रकार का होता है सहजबाधिरापन और जन्मोत्तरबधिरापन। प्रस्तुत शोध पत्र में ज्योतिष शास्त्र में कर्ण रोग के कारण, कम सुनाई देने के योग, कान कटने के योग, कान में दर्द,मवाद बहना इत्यादि योग और उनके उपचारों का वर्णन किया गया है जो निश्चित रूप से सभी के लिए लाभप्रद है।
Pages: 25-29  |  1602 Views  1236 Downloads
How to cite this article:
डा0 तृप्ति दहरी. ज्योतिषशास्त्र में कर्ण रोग से सम्बन्धित विभिन्न योग. Int J Jyotish Res 2023;8(1):25-29.
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