2023, Vol. 8 Issue 2, Part D
शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿
Author(s): डॉ. जय पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€
Abstract: गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ में पढाठजाने वाले वैदिकी शिकà¥à¤·à¤¾ में जहाठपर “मातृदेवो à¤à¤µâ€ पितृदेवो à¤à¤µ “ आचारà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µà¥‹ à¤à¤µâ€ अतिथिदेवो à¤à¤µâ€ की शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती थी वही पर आज के अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सà¥à¤•à¥‚लों में इन शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का सततॠअà¤à¤¾à¤µ दिखता है इस बात से सà¤à¥€ अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• लोग दà¥:खी है। हम इतने असफल कैसे होते जा रहें हैं? किसी à¤à¥€ समाज की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ वहां के शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से लगाया जा सकता है। आज हम इसमें बहà¥à¤¤ असफल हैं। हमने सà¥à¤•à¥‚ल और कॉलेज तो बना लिठलेकिन जिस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ के लिठइसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† उसकी पूरà¥à¤¤à¤¿ के योगà¥à¤¯ इंसान और सिसà¥à¤Ÿà¤® नहीं बना पाà¤à¥¤à¤œà¤¬ आप अपने देश का इतिहास पढ़ेंगे तो आप गरà¥à¤µ à¤à¥€ महसूस करेंगे और रोà¤à¤‚गे à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपने जो गवां दिया है वो पैसों रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ से नहीं खरीदा जा सकता! हमें à¤à¤• बड़े पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¾à¤—रण की जरूरत है। जनता जब तक नहीं जागती हम अपनी विरासत को कà¤à¥€ पà¥à¤¨à¤ƒ हासिल नहीं कर पाà¤à¤‚गे ।
अत: हम अपने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अतीत गौरवशाली इतिहास को पà¥à¤¨: गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ के शिकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में जà¥à¤¡à¤•à¤° अपने देश की खोई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा को लौटाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करे। सचà¥à¤šà¤¾ मानव बनकर à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾ देशà¤à¤•à¥à¤¤ बनें।
How to cite this article:
डॉ. जय पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€. शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿. Int J Jyotish Res 2023;8(2):294-300.